बटाईदार अधिनियम-2016 का उपयोग करने की सलाह
राजगढ 24 अगस्त, 2024
सामान्य तौर से कृषकों और भू-स्वामियों द्वारा अपनी भूमि अन्य व्यक्तियों को धन या फसल का अंश भूमि स्वामी को देकर खेती के लिए भूमि दे दी जाती है जिसे सामान्य तौर पर बटाई, सिकमी, अन्य स्थानीय नामों से जाना जाता है। मध्यप्रदेश भूमि स्वामी एवं बटाईदारों के हित संरक्षण अधिनियम 2016 के अनुरूप भूमि बटाई पर दिए जाने की मान्यता प्रदान की गई है।
अधिनियम भूमि स्वामी बटाईदार दोनों के हितों का संरक्षण करता है। अब कोई भी भूमि स्वामी अपनी भूमि बटाई पर देने या किसी व्यक्ति द्वारा बटाई पर लेने की वैधानिकता तभी मानी जाएगी जब दोनों पक्षों के द्वारा मध्यप्रदेश भूमि स्वामी बटाईदारों के हित संरक्षण अधिनियम 2016 के नियम चार के तहत अनुबंध निष्पादित किया हो और एक प्रति संबंधित क्षेत्र के तहसीलदार को उपलब्ध कराई हो।
कोई भी बटाईदार, भूमि बटाई पर लेकर यदि वह फसल क्षति की देय राहत राशि, बीमा राशि और कृषि उपज का उपार्जन के लिए शासन द्वारा तभी स्वीकार माना जाएगा जब भूमि स्वामी और बटाईदार के मध्य उपरोक्त अधिनियम के अंतर्गत अनुबंध निष्पादित हुआ हो। विधिवत अनुबंध के अभाव में उपरोक्त हित लाभ दिया जाना संभव नही होगा।
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